आत्मकथ्य पाठ के प्रश्न और उत्तर Class 10 हिन्दी अ

‘आत्मकथ्य’ क्लास 10 अ की हिन्दी पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित है। यहाँ इसी पाठ ‘आत्मकथ्य’ के पुस्तकीय प्रश्नों को उत्तर सहित दिया गया है। ‘Class 10 Hindi A Book Kshitij Chapter 3 Aatmkathya Jaishankar Prasad Questions and Answers.

आत्मकथ्य पाठ के प्रश्न और उत्तर

प्रश्न1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं?

उत्तर: कवि अपनी आत्मकथा न लिखने के की कारण बताते हैं। उन्होंने कोई ऐसी उपलब्धियां भी हासिल नहीं की हैं की वो बात सकें लोगों को। पहले से ही कितने ही महापुरुषों की आत्मकथाएं उपलब्ध है ओर उनकी आत्मकथा कोई प्रेरणा पैदा नहीं करेगी। लोग बस मजाक उड़ते है आत्मकथा में वर्णित घटनावों का। इसलिए कवि अपना मजाक नहीं बनवाना चाहते हैं। वे अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने लाकर उन्हें शर्मिंदा नहीं करना चाहते हैं.

आत्मकथा लिखने के लिए अपने मन की दुर्बलताओं और कमियों का उल्लेख करना पड़ता है। कवि का स्वभाव बहुत सरल है और अपनी इस सरलता के कारण उन्होंने कई बार धोखा भी खाया है। उनके जीवन में बहुत सारी पीड़ादायक घटनाएं हुई हैं जिन्हें वह फिर से याद नहीं करना चाहते हैं। कवि अपनी पत्नी के साथ बिताए हुए मधुर पलों को अपनी “उज्ज्वल गाथा” के रूप में ही देखना चाहते हैं और उन्हें किसी के साथ बाँटना नहीं चाहते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी आत्मकथा में कुछ रोचक और प्रेरक नहीं है।

प्रश्न 2. आत्मकथा सुनने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कभी ऐसा क्यों कहता है?

उत्तर: कवि को लगता है कि आत्मकथा लिखने का अभी उचित समय नहीं हुआ है क्योंकि उनका जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है और उनके अनुसार अब तक उन्होंने कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त नहीं की है। वे अपने अभावग्रस्त जीवन के दुखों को खुद तक ही सीमित रखना चाहते हैं इसलिए वे कहते हैं की आत्मकथा लिखने का समय अभी नहीं हुआ है।

कवि कहता है कि मेरे हृदय में अनेक व्यथा-कथाएँ सुस्त पड़ी हुई हैं, जिससे मैं शांतचित्त हूँ। उन्हें पुनः स्मरण कर जीवन को व्यथित नहीं करना चाहता हूँ। साथ ही कवि अपनी दुर्बलताओं और प्रेम वे$ क्षणों को सबके सम्मुख प्रकट भी नहीं करना चाहता है। ऐसा करना उसे उचित नहीं लगता है।

प्रश्न3. स्मृति को ‘ पाथेय ‘ बनाने से कवि का क्या आशय है? 

उत्तर: ‘ पाथेय ‘ अर्थात रास्ते का सहारा। कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। जिस प्रकार ‘ पाथेय ‘ यात्रा में यात्री को सहारा देता है ठीक उसी प्रकार स्वप्न में उनके द्वारा देखी हुए सुख की स्मृति भी उनको जीवन मार्ग में आगे बढ़ने का सहारा देती है।

स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय अपनी प्रिय की स्मृति के सहारे जीवन जीने से है। कवि की इच्छा है कि वह स्मृति को पाथेय बनाकर अपनी पत्नी की स्मृति के साथ जीवन जीता रहे। कवि की पत्नी युवा उम्र में ही नहीं रहीं थीं। अब कवि के लिए उनकी पत्नी के साथ बिताए गए सुंदर पल स्मृतियों को याद करना ही एकमात्र सहारा और मार्गदर्शक है। जैसे थका हुआ यात्री अपनी मंजिल पाने के लिए अंतिम रास्ते पर अपने मन को संभालता है, वैसे ही कवि अपनी पत्नी की यादों के साथ अपने शेष जीवन को बिताने के लिए तैयार है। मनुष्य अपनी सुखद स्मृतियों की याद में शांति और सुख का अनुभव करता है और इसी में अपना जीवन व्यतीत करने की कोशिश करता है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। 

आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग नया।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि जयशंकर प्रसाद की कविता आत्मकथ्य का अंश हैं। कवि कहना चाहता है कि जिस प्रेम का कवि सपने देख रहा था वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। सुख हमेशा उनके करीब आते-आते रह गया और उनका जीवन हमेशा सुख से वंचित रहा।

कवि ने अपने जीवन की अनुभूति को स्पष्ट किया है कि सुख उसके जीवन के लिए प्रवंचना (दिखावा) मात्रा बनकर रह गया। वह सुख की कल्पना करते ही रह गए और सुख उसके जीवन में केवल झाँकी दिखाकर चला गया। कब आया और कब चला गया, उसे पता ही नहीं चला। इस तरह कवि स्वप्न में ही सुख का अनुभव कर रहा था और आँख खुलते ही सुख विलीन हो गया।

(ख) जिसके अन कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि जयशंकर प्रसाद की कविता आत्मकथ्य का अंश हैं। इन पंक्तियों में कभी अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि उनकी प्रियसी के गालों की लालीमा इतनी अधिक है की भोर वेला भी अपनी मधुर लालिमा उनके गालों से लिया करती थी। कवि की प्रेयसी की लालिमा के सामने उषा की लालिमा भी फीकी है।

प्रश्न 5. ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर: कवि कहना चाहता है, कि अपनी प्रेयसी के साथ चांदनी रातों में बिताए हुए वो सुखदायक पल उनके लिए किसी उज्जवल गाथा की तरह है जिसने उनके अंधकार में जीवन में उन्हें आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा दिया। कवि को डर है की इन स्मृतियों का दूसरों को पता चलता है तो वह उनका मजाक उड़ाएंगे इसलिए वह इन स्मृतियों को अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।

कहने का अर्थ ये है की कवि अपनी पत्नी के साथ बिताए गए सुखद पलों का जिक्र करते हुए यह बताना चाहते हैं कि वे अपने अकेलेपन के जीवन को व्यतीत करने का सहारा उन समय बिताए गए प्यार भरे पलों में ढूंढ पाते हैं। कुछ उन समय बिताए गए अनुभव निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • चाँदनी रातों में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ एकांत में खिलखिलाते हुए समय बिताया।
  • उन्होंने उनकी सुंदरता पर टिप्पणियां की और उन्हें उनके कुछ विशेष गुणों के बारे में बताया।
  • वे एक दूसरे के साथ अपने सपनों और अभिलाषाओं के बारे में बात करते थे।
  • उन्होंने एक दूसरे को अपनी प्रेम भावनाओं के बारे में बताया।
  • उन्होंने एक दूसरे के साथ अपने भविष्य के बारे में बात की।

यदि वे अपने निजी जीवन के बारे में बात करने से शर्मिंदा महसूस करते हैं, तो वे इस विषय पर बात करने से बच सकते हैं। वे अपने जीवन के सुखद स्मृतियों का आनंद अपने अकेलेपन में ले सकते हैं और इसे दूसरों के साथ बांटना नहीं चाहते हैं।

प्रश्न 6. ‘आत्मकथ्य ‘ कविता की काव्य भाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर: ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. खड़ी बोली का परिष्कृत रूप।

जैसे: जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।

आत्मकथ्य में तत्सम शब्दों की बृहत प्रयोग है जो भावों के अनुकूल ही है; जैसे-

”इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास।“
”भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।“

3. कवि ने प्रतीकात्मक शब्दों का विशेष रूप से प्रयोग किया है; जैसे-

”मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आप घनी।“
यहाँ ‘मधुप’ मन का प्रतीक है, तो ‘मुरझाकर गिरती हुई पत्तियाँ’ नश्वरता का प्रतीक हैं।

4. कवि की ‘आत्मकथ्य’ कविता कोमलांगिनी है। प्रकृति-उपादानों के प्रयोग से प्रेयसी की मनोरम झाँकी जीवंत हो उठी है; जैसे-

”जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।“
इस प्रकार कविता में कमनीयता के दर्शन होते हैं।

5. यह कविता छायावादी शैली में लिखी गई है और ‘आत्मकथ्य’ कविता में अलंकारों का सौंदर्य भी सहज आ गया है। निम्न अलंकार प्रयुक्त है-

पुनरुक्तिप्रकाश-

  • आलिंगन में आते-आते।
  • खिल-खिलाकर।

रूपक-

अरुण-कपोलों में रूपक अलंकार है।

अनुप्रास-

  • हँसते होने वाली।
  • कौन कहानी यह अपनी।
  • मेरी मौन, अनुरागी उषा

मानवीकरण-

  • अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
  • थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।

प्रश्न 7. कवि ने जो मुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?

उत्तर: कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसको उन्होंने अपनी प्रेयसी नायिका के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि कहता है चांदनी रात में प्रेयसी के साथ हुई बातें उनके लिए सदा के लिए दुख में तब्दील हो गई है, क्योंकि उनकी प्रेयसी उनके आलिंगन में आने से पूर्व ही उनसे दूर चली गई है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न8. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस कविता को पढ़कर प्रशाद जी के व्यक्तित्व की ये विशेषताएं हमारे सामने आती हैं कि प्रसाद जी एक सीधे-सादे व्यक्तित्व के इंसान थे। उनके जीवन में दिखावा बिलकुल भी नहीं था। वे अपने जीवन के सुख-दुख को कभी भी लोगों से व्यक्त नहीं करना चाहते थे। और अपनी दुर्बलताओं को अपने तक ही सीमित रखना चाहते थे क्योंकि अपनी दुर्बलताओं को समाज में प्रस्तुत कर वे स्वयं को हँसी का पात्र बनाना नहीं चाहते थे। प्रशाद जी स्वयं को दुर्बलताओं से भरा मानते थे। जिसके कारण वे स्वयं को श्रेष्ठ कवि मानने से इनकार करते हैं।

कवि व्यावहारिक रूप में विनम्र होके बड़ी सादगी से अपने आलोचकों या अपने साथ धोखा करने वाले मित्रों के प्रति उलाहना दे जाता है। उनके उलाहने में विनम्रता का आभास होता है। जयशंकर प्रसाद जी पाठकों से अपनी बात बारीकी से कह जाते हैं जब वो लिखते हैं की प्रवंचना लिखना क्या उचित रहेगा? वो अपनी प्रेयसी की स्मृतियाँ को प्रकट नहीं करना चाहता है, फिर भी न चाहते हुए भी बहुत-कुछ कह जाता है। कवि आत्म-गौरव का धनी है। बड़प्पन का प्रदर्शन नहीं करता है। इसलिए बड़ी सहजता से कह दिया है कि-
”छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ।“

प्रश्न 9. आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर: हमें महान, प्रसिद्ध और कर्मठ लोगों की आत्मकथा पढ़कर उनसे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए –

(1) महात्मा गाँधी की आत्मकथा – हमें महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढ़नी चाहिए। इससे हमें उनके जीवन को सत्य तथा अहिंसा के साथ जीने की जानकारी और प्रेरणा मिलती है।

(2) भगत सिंह की आत्मकथा  – देशभक्त भगतसिंह की आत्मकथा को पढ़ने से हमें भी देश-भक्ति की प्रेरणा मिलती है।

(3) महावीर प्रसाद द्विवेदी की आत्मकथा  – वें एक महान साहित्यकार थे। उनकी आत्मकथा को पढ़कर हमें भी उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

प्रश्न 10. कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रुप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

उत्तर:

आत्मकथात्मक शैली के विभिन्न आयाम –

(1) जीवन परिचय

(2) शिक्षा

(3) जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ

(4) उपलब्धियाँ

(5) जीवन का आदर्श

(6) उद्देश्य

बच्चे स्वयं अपना आत्मकथ्य लिखें।

एक उदाहरण यहाँ दिया जा रहा है:

मेरा नाम नीलिमा है और मैं उत्तर प्रदेश राज्य के जनेवा में रहती हूँ। जीवन के इस सफर में, मैंने एक आम घरेलू सहायिका के रूप में खुद को पाया है। मेरी आत्मकथा के माध्यम से, मैं यहाँ अपने जीवन की कहानी का संक्षेप में साझा करना चाहती हूँ।

मेरा जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। शैक्षिक दृष्टिकोण से कमजोर और सामान्य परिस्थितियों के बीच, मुझे बचपन से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पढ़ाई के बजाय, मैंने अपनी माता-पिता की मदद करने का फैसला किया और घरेलू काम करना शुरू किया।

जब मैंने घरेलू सहायिका के काम करना शुरू किया, तब मुझे अपनी आत्मविश्वास की बुनियाद रखने का मौका मिला। इस क्षेत्र में जो चुनौतियां होती हैं, वह कठिन हो सकती हैं, लेकिन मैंने हमेशा इन चुनौतियों का सामना किया है और अपनी मेहनत और समर्पण के द्वारा उन्हें पार किया है। मैंने खुद को उस संघर्ष में ढाला है और साबित किया है कि मैं इस भूमिका के लिए पूरी तरह से योग्य हूँ।

मेरे कार्यक्षेत्र में मुझे बहुत से विभाजनों के साथ काम करना पड़ा है। मैंने अपनी आवाज को बढ़ावा दिया है और अपने कार्य को मान्यता दिलाने के लिए मेहनत की है। मेरे संघर्षों ने मुझे सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। मैंने देखा है कि जब हम महिलाएं आपस में मदद करती हैं और एकजुट होती हैं, तो हमारी ताकत असीमित होती है।

मेरी आत्मकथा में, मैंने भी उच्चतम शिक्षा ज्ञाप्ति और स्वयंसेवी मार्गदर्शन का लाभ उठाया है। अधिकांश समय मैंने केवल काम करने में ही बिताया है, लेकिन मेरी आत्मविश्वास की सफलता ने मुझे यह बताया है कि मैं अधिक उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी प्रयास कर सकती हूँ। यह सोचना मेरे लिए वास्तविक आगे बढ़ने का माध्यम है।

मेरी आत्मकथा यह दिखाती है कि छोटी-सी जिंदगी में भी हम कितना कर सकते हैं। मैं यह साबित करना चाहती हूँ कि हमारी सामरिकता के बावजूद, हम महिलाएं शक्तिशाली हैं और हम विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम कमाने के योग्य हैं। जिस प्रकार समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, मेरी आत्मकथा से प्रकट होता है कि हम निरंतर अपनी सीमाओं को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

Leave a Reply